कोडरमा में मजदूरों के लिए रोटी अवैध है तो बड़े व्यपारियों के लिए रोटी वैध, ये कैसा भेद भाव ?

 

                                             अबरख पिसाई मिल से गाड़ी पर लोड होते अबरख पाउडर 

कोडरमा : कोडरमा का लाइफ लाइन कहे जाने वाला अबरख किसी को कंगाल बना रहा है तो किसी को अरबो का मालिक बनाये जा रहा है| अबरख कोडरमा के लाखो गरीबों के जीविका का साधन है इस लिए यह कोडरमा के लाइफ लाइन के लिए भी जाना जाता है| आइये जानते है अबरख से जुड़े लोगो के साथ होता भेद भाव 

अबरक कोडरमा के लिए जीविका का साधन है परन्तु किसके लिए है ? यह एक बड़ा सवाल बनता जा रहा है| जहा एक तरफ झारखण्ड का छोटानागपुर कास्तकारी अधिनियम जल, जंगल, और खनिज सम्पदा पर ग्राम सभा का अधिकार बताता है| तो वही दूसरी तरफ अबरख को अवैध घोषित किया गया है ? पर सवाल यह है कि जब अबरख जीविका अर्थात रोटी का साधन है तो क्या कोडरमा में रोटी अवैध है ? परन्तु इसके साथ यह भी एक बड़ा सवाल है की यह रोटी किसके लिए अवैध है?

जिले का एक बड़ा मजदुर वर्ग अबरख बेच कर अपना जीविका चलाता है जिसे अविध बता कर उन मजदूरो से सस्ते दर पर मायका की खरीद की जाती है परन्तु वह वाही मिडिल मैंन जो माइका मजदूरो से खरीदता है वह कोई पूंजी पति नहीं  होता वह एक तरह उन मजदूरो को जीविका देते हुए अपने जीविका के तलाश में संघर्ष कर रहा होता है जिस पर अवैध माइका के नाम पर जिला प्रशाशन के डंडे चलते रहते है और ये मिडिल मैंन अपने आप को अपने रोजगार को बचाने के लिए स्थानीय पुलिस प्रशाशन के साथ चोर पुलिस का खेल खेलता रहता है, जिसमे पुलिस भी मोटी कमाई करते नज़र आती है| और कमी नहीं देने पर उस मिडिल मैंन की हत्या तक पुलिस कर देती है जिसका जीता जागता उदाहरण है कथित तौर पर अर्जुन साव की पुलिस प्रशाशन द्वारा हत्या|

दूसरा केस सपही के नावाडीह गाँव निवासी वकील सिंह उर्फ़ दिनेश सिंह का जिसके घर डोमचांच पुलिस रात के 12 बजे पहुचती है और कथित तौर पर पचास हज़ार की रंगदारी मांगती है अर्जुन वकील सिंह पैसा देने के लिए इनकार करता है तो पुलिस उसका दाहिना हाथ तोड़ देती है| और उसका ट्रक्टर पर लदे ढिबरा को17/08/23 को रात के 22: 15 में उसे अवैध बता कर जब्त कर लेती है| तो दूसरी तरफ ऐसे कई मिडिल मैंन को चिन्हित कर उन पर सी सी ए की कार्यवाही करने के लिए अनुशंसा कर दी जाती है|

पुलिस उन बड़े व्यपारियों को अर्जुन साव की तरह क्यों नहीं पकडती है और वकील सिंह की तरह घर घुस कर उसके हाँथ क्यों नहीं तोडती है? जिनके बड़े बड़े दरवाजे के अन्दर लाखो करोडो का अबरख का कारोबार खुले आम हो रहा है| जिसके पास अबरख की पिसाई करने का कोई लाइसेंस नहीं जिसके बाद अबरख एक्सपोर्ट करने का कोई लाइसेंस नहीं है ऐसे लोगो को जिला प्रशाशन खुल छुट क्यों दे रखी है?

डोमचांच थाना क्षेत्र से महज 3 किलोमीटर की दूसरी मसमोहना  रोड पर स्थित अबरख का बड़ा फेक्ट्री  निर्काभीक हो कर धड़ल्ले से काम कर रहा है जो हर सप्ताह लाखो रूपये का अबरख पिसाई कर के बेच रहा है आज तक पुलिस प्रशाशन को इसकी भनक क्यों नहीं लग रहा है? और जो गरीब घर के कोने में एक सीमेंट की बोरी में एक बोरी अबरख पुरे दिन जंगल से चुन कर रखता है उसकी भनक पुलिस को लग जाती है और वह 30 किलोमीटर अन्दर जंगल घुस कर कार्यवाही कर देते है| 

तो सवाल यह की कोडरमा के लोगो के लिए अबरख जो कोडरमा के जीवन अर्थात रोटी से जुड़ा है वह यहाँ के गरीबो के लिए अवैध है तो बड़े व्यपारियों के लिए वैध? 

 

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